Sunday 20 September 2015


जो बीत गई सो बात गई
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अंबर के आंगन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फ़िर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उस पर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुबन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ
जो मुरझाईं फ़िर कहाँ खिलीं
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुबन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आंगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई
मृदु मिट्टी के बने हुए हैं
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन ले कर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फ़िर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं,मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई
- H.R.Bachhan
   

Friday 21 August 2015

mana ki gulab pe shabnam achi lagti hai, but tumare gulab se chahre pe ye ashq hargiz ni lubhate -MISS ROSE
Log kha-m-kha kanto ko dosh dete hai,
aaj ek gulab ki pankhudi se ghayal huye hum,

Thursday 20 August 2015

Fiza-e-sawan me zulfe jb udti hai,
dil chahta hai, tujhe sine se lga lu,
boond jo tere badn ko bhigoti hai,
dil chahta hai, wo boond chura lu,
hasin mosam me tere joban se lipt jaau,
dil chahta hai, tujhe apna bana lu,
is trah wasl-e-yaar ho, koi juda na kre,
dil chahta hai, tujhe spna bna lu,
rangin mizaj hai log, "sahib" jahan me,
dil chahta hai, me bhi wo rang lga lu,

सुना था उस बेवफा की सगाई हो गई ,
चन्द पैसे लेकर वो पराई हो गई ,

कत्ल करके मेरे दिलो जिगर का ,
वो देखो मशहूर , बेवफाई हो गई ,

रखा था हमने तो अन्जानो से वास्ता ,
कब ना जाने उनसे आशनाई हो गई ,

रखा था नाम किसी ने शौक से "साहिब" ,
लो ये खा - म - खा रूशवाई हो गई ,